कभी कभी ....
सुबह की सतरंगी धुप भरी भोर..
दिखती है, एकदम अलग
एक अलग मायने के साथ
और जिंदगी
में कुछ खुबसूरत पल
खिल उठते हैं
कलियों से फूलो में बदलते हुए....
जिंदगी पाती है
एक नया खुबसूरत अर्थ
बदलता हुआ आयाम..
पाता है एक विस्तार जिंदगी में
कहीं दूर से आने वाली आवाज
...... की तरंगे
संगीतमय लगती है कानो को....
गुद-गुदा देती है ...
है ना............!
मन...
मन का आँगन
हो जाता है सुवासित !
बहुत सी छोटी छोटी बातें
अनाम यादें
अनकहा रिश्ता
हमें रचता है
ऐसे ही तो बन जाती है
जिंदगी.....
खुशनुमा कभी कभी .... !
आशाओं के कण से
सिंची एक हरी भरी बेल सी.......!..
दिलकश............!!
सिंची एक हरी भरी बेल सी.......!..
दिलकश............!!
कर देती है अन्दर
तरोताजा कभी कभी .... !!!
जैसे छोटे बच्चे के
मुख से टपक रहा हो
केडबरी चोकलेट का रस....!!
या अभी अभी हुई
तरोताजा कभी कभी .... !!!
जैसे छोटे बच्चे के
मुख से टपक रहा हो
केडबरी चोकलेट का रस....!!
या अभी अभी हुई
बारिश की बूंदों से
भींगा हुआ खुबसूरत सा
हसीन चेहरा !!
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