1.
मेरी राख पर
जब पनपेगा गुलाब
तब 'सिर्फ तुम' समझ लेना
प्रेम के फूल !!
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इन्तजार करूँगा सिंचित होने का :)
2.
मेरी इच्छाएं रहती है हदों में,
पर नींद में कर जाता हूँ
सीमाओं का अतिक्रमण !!
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हदों के पार :)
3.
कल रात ख़्वाबों के बुने स्वेटर
पर भोरे भोरे एक फंदा उतरा
सारे सपने ही उधड़ते चले गये
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चलो गर्मी आ गयी इस रात सपनों का पंखा चलेगा !!
3 comments:
सुन्दर
बहुत बहुत बधाई आपको
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
www.manojbijnori12.blogspot.com
बहुत सुन्दर
सुंदर क्षणिकाएं।
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