जिंदगी की राहें

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Friday, October 28, 2016

पटाखे

बीडी पटाखे के लड़ियों की
कुछ क्षण की चटख चिंगारी सा
है न तुम्हारा प्यार
फिस्स्स्सस !

इस्स्स्सस की हल्की छिटकती ध्वनि
जैसे कहा गया हो - लव यू
फिर जिसकी प्रतिध्वनि के रूप में
छिटक कर बनायी गयी दूरी
जैसे होने वाली हो आवाज व
फैलने वाली हो आग
और उसके बाद का डर
- 'लोग क्या कहेंगे'

शुरूआती आवाज न के बराबर
पर फिर भी, फलस्वरूप
हाथ जल जाने तक का डर
उम्मीद, आरोप से सराबोर

पटाखे के अन्दर का बारूद 'मैं'
उसके ऊपर लिपटे सारे लाल कागज़
तुमसे हुए प्रेम के नाम के,
और फिर मेरी बाहों जैसी
प्रेम सिक्त धागों की मदमस्त गांठे
धागे के हर घुमाव में थी लगी ताकत
ताकि छुट न पायें साथ
ताकि सहेजा रहे प्रेम,
पटाखे के पलीते जैसे तुम्हारे नखरे
चंचल चितवन !

पटाखे के ऊपर लिखे
स्टेट्युरी वार्निग सी
सावधानी बनाये रखें
- प्रेम भी जान मारता है !

पर जो भी कहो
समझो या न समझो
बस चाहतें कहती हैं
प्रेम का दीपक डभकता रहे 😊

~मुकेश~


100 कदम की प्रतिभागी 

3 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि- आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29-10-2016) के चर्चा मंच "हर्ष का त्यौहार है दीपावली" {चर्चा अंक- 2510} पर भी होगी!
दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar said...

वाह, एक अलग सी रचना

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 30 अक्टूबर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!