जिंदगी की राहें

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Friday, March 2, 2012

शेर सुनाऊं...



















कब और कैसे शेर सुनाऊं!!


हो जाये भोर, छिटके हरीतिमा

...तो शेर सुनाऊं!!

गरम चाय का कप

सुबह सुबह जबरदस्ती उठाना...

तो कैसे शेर सुनाऊं!!

बच्चो कि तैयारी

प्यारी की फुहारी..

तब शेर कैसे सुनाऊं!!

टूथ ब्रश, सेविंग ब्रश, जूते का ब्रश

सबको है जल्दी...

कैसे शेर सुनाऊं!!

आफिस के लिए हो रहा लेट

करना है नाश्ता...

कैसे शेर सुनाऊं!!

सामने पड़ी है फाइलें

काम का बोझ

किस तरह शेर सुनाऊं !!

दिमाग में चल रहे हैं

छत्तीस काम

कहाँ से शेर लाऊं !!

हो गयी शाम

पहुंचे घर

बच्चो की फरमाइश

दब गयी शेर...

अब शेर कैसे सुनाऊं!!

सब्जी, दूध, राशन

पर्स में पैसे

आमदनी अट्ठन्नी

खर्चा रुपैया

शेर हो गया ग़ुम.

कैसे शेर सुनाऊं !!

हो गयी रात

प्रिये के बंधन में

आने लगी नींद..

खिलने लगे खबाब

ऐ!!!

कानो में प्यार के बोल

क्या? प्यार से शेर बुदबुदाऊं........!!!!
 

52 comments:

शिवम् मिश्रा said...

वैसे रात को शेर सुनाने का आईडिया बुरा नहीं है महाराज ... ;-)

Unknown said...

ऐ!!!

कानो में प्यार के बोल

क्या? प्यार से शेर बुदबुदाऊं........!!!!
ab to kah hi do ek sher .....jeewan ki aapadhapi to chalti rahegi

vidya said...

सच्चे कवि/शायर कभी हार मानते हैं क्या...??

मौका तलाश लेते हैं वो तो शेर कहने का..बस कोई सुनने वाला मिल जाये...
:-)

कहते जाइए...
सादर.

Dimple Kapoor said...

sach mein bhut khoob idea hai raat ko sher-o-shayri ka . Din bhar ki pareshaniyon ke baad bas yehi time hota hai jab hum mann ke vichaar apni priya tak pahuncha sakte.............

Neelam said...

badhiya hai j.. lekin sher ka intzar bahut lamba ho gaya.. ab to suna hi dijiye ek sher..:)

Rakesh said...

खामोशी से हम को क्या मिला,जालिमों को होसला मिला ।
हम गये थे शहर देखने ,हर कदमपर हादसा मिला ।
जंग मे भी शिकस्त खाकर्,जीतने का होसला मिला ।
शीशे से बुजदिली मिली,पत्थर से होसला मिला ।
रास्ते मे मुश्किलें मिली,मुश्किलों से रास्ता मिला ।

Rakesh said...

खामोशी से हम को क्या मिला,जालिमों को होसला मिला ।
हम गये थे शहर देखने ,हर कदमपर हादसा मिला ।
जंग मे भी शिकस्त खाकर्,जीतने का होसला मिला ।
शीशे से बुजदिली मिली,पत्थर से होसला मिला ।
रास्ते मे मुश्किलें मिली,मुश्किलों से रास्ता मिला ।

rajat said...

daag ke sher javaani men bhale lagate hain
meer ki koi Gazal gaao to kuchh chain pade....:) badhiya hai bhayi ji...

Unknown said...

wah! bahut achi shaayri hai...mazaa aaya....bahut ache topic bhi hai..love this one..:)

kshama said...

Bahut khoob!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

:)

दर्शन कौर धनोय said...

आफिस में काम ..फाइलों का अम्बार....
चेटिग भी करना यार ..कैसे शेर सुनाऊ हा हा हा हा हा

sangita said...

khoob!

Anupama Tripathi said...

शेर सुनाने वाला शेर सुनाये बिना कहाँ रह सकता है ...?
सुंदर अभिव्यक्ति ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) वक़्त देख कर शेर कहाँ सुनाये जाते हैं ॥बस सुनने वाला होना चाहिए

प्रवीण पाण्डेय said...

दिन के बमचक में डूबती मन की संवेदना..

Roshi said...

bahut sunder................

Rakesh Kumar said...

खूब अच्छा रहा आपका तराना
गा गा कर सुना दिया आपने जीवन का फसाना
कविता भी सुनी ओर शेर भी.
मन प्रसन्न हो गया मुकेश जी.

होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी चले आयें.

अरुण चन्द्र रॉय said...

badhiya kavita....mukesh bhai ..naya andaz hai...

Atul Shrivastava said...

बढिया रचना।

***Punam*** said...

हर जगह तो शेर है.....
अब कहाँ शेर सुनाऊं....!!

कहीं जगह ही नहीं छोड़ी...
कि कहीं फिल इन द ब्लेंक करते...

अबीर-गुलाल के साथ होली की शुभकामनायें....

रश्मि प्रभा... said...

ज़िन्दगी की बढ़ते जद्दोजहद और रचना में गहराई .... बहुत ही बढ़िया

vandana gupta said...

शेर सुनाने वालों को तो सुनाने का बहाना चाहियेहोता है।

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम करना और इतने काम सलीके से करना भी तो शेर सुनाने से कम नहीं ...

Anju (Anu) Chaudhary said...

जिंदगी जद्दोजहद ,खुद में ही एक शेर हैं
जैसा मन चाहे ,वैसे ही सुना दो |

Udan Tashtari said...

सुना ही दो....रुक तो पाओगे नहीं...

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

Pallavi saxena said...

सब यही कह रहे हैं भाई सहाब की अब तो आप सुना ही दीजिये कोई शेर इतना भी वक्त नहीं लगता एक शेर सुनाने में ;-) ज़िंदगी की जगदोजहद तो हमेशा ही लगी रहती है। मगर ज़िंदगी से कुछ लम्हे चुराकर जीने का मज़ा ही कुछ और है।

babanpandey said...

there is lot of work... no time..at all...deep meaning... sinha jee
wish a colourful holi

ANULATA RAJ NAIR said...

दाना-पानी की जुगाड में कभी-कभी मर जाती है कविता...
तभी तो चाँद रोटी सा दिखाई देता है...

बहुत अच्छी रचना....
सादर.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Umda...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
--
रंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!

Yashwant R. B. Mathur said...

इतनी व्यस्तता के बाद भी आपको शेर सुनाने का वक़्त मिलेगा ज़रूर :)


आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ।

सादर

दिगम्बर नासवा said...

kya baat hai ... aise mein sher sunaana aasan nahi ..

रेखा said...

अब तो सुना ही दीजिए ....अंदाज बहुत अच्छा लगा
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन गजल,...


RECENT POST...काव्यान्जलि
...रंग रंगीली होली आई,

डॉ. जेन्नी शबनम said...

हा हा हा हा हा हा शेर बना-पका-भूला-फिर याद आया, सुना ही दिया कीजिये हर रोज़ रात में उनके कान में चुपके से जब चाँद खिलने लगे... खूबसूरत ख़याल, बधाई.

अंजना said...

बहुत बढ़िया.....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.



भाईसाहब,
सब पर रहम किया आपने… भाभीजी के अलावा …
हा हा ऽऽऽ…


बहुत सुंदर !
मन तक पहुंचने वाले भाव हैं आपकी कविता में …
आभार !

ऐसी रचना पढ़ने का भी अपना ही आनंद है !
:)


(गूगल की समस्या के चलते होली की शुभकामनाएं यथासमय संप्रेषित नहीं हो पाई )


विलंब से ही सही ,
स्वीकार कीजिए मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
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♥होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार !♥
♥मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !!♥


आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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प्रियंका गुप्ता said...

बहुत बढ़िया...मेरी बधाई...।

abhinav pandey said...

आपकी रचना सरल और सुरम्य लगी.....बहुत ही अच्छी

सुनहरी यादें

mini said...

bahut hi badhiya likha hai aapne....sachai ko jaise kagaaz par utaar diya hai.....haardik badhai.

anilanjana said...

:) kya kahun...zindgi ki rahon mein ek padaav aisa bhi....god bless

वाणी गीत said...

नून , तेल , लकड़ी का करूँ इंतजाम या शे'र सुनाऊं !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Shweta Agarwal: waaaaaaaahhh....bahut khub apni feelings ko zindagi ki sachaiyon ke saath bakhubi bayan kiya hai aapne....sach kaise aur kahan kho jati hain in sab mein humari dil ki shayri pata hi nahi chalta....lekin haan ye bhi hai ke jo shayri ko jeete... hain dil se unhe ye baat nahi sochni padti ke kaise kahun apni shayri....we keh jate hain apne andaaz mein.....aur unme se ek aap bhi hain....jo keh bhi gaye aur puch bhi baithe ke kaise kahun....See more
12 March at 16:14 · UnlikeLike · 3

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Archanaa Raj:
VAAKAI ...YE VASTVIKTA AUR BHAVNA KE BEECH KI JADDOJAHD NIRANTAR BANI RAHTI HAI ...FIR BHI DONO SANG SANG CHALTE HAIN ....SUNDAR RACHNA MUKESH JI....!!
28 minutes ago · UnlikeLike · 1

Meenakshi Mishra Tiwari said...

इस व्यस्त जिंदगी की उठा-पटक में शेर सुनाने का समय ढूंढ लेना ही अपने आप में एक बड़ी बात है.... अच्छी रचना...

बाँध के रखा जब तक पढ़ती गयी.....
मैंने भी समय निकल लिया आपके ब्लॉग पे आने का... :)

आभार
मीनाक्षी

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Kailash C Sharma: बहुत सच. जीवन की आपाधापी में शेर कहना या लिखना वास्तव में कठिन हो जाता है...लेकिन जब अंतस में भावों का ज्वार उमडता है तो वह अपनी राह स्वयं ही निकाल लेता है, वर्ना आज के हालात में कौन लिख पाता...
16 March at 19:51 · UnlikeLike · 1

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Ranjan Sahai: bahut khub Mukesh bhai. aap ki es saral magar jeendagi ki komal sachchayiyon ko chooti hui rachana ko padh kar Jagjit sahab ki wo gazal yaad aati hai... Ab main ration ki kataaron me nazar aata hoon.....
Monday at 19:52 · UnlikeLike · 1

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Archanaa Raj: VAAKAI ...YE VASTVIKTA AUR BHAVNA KE BEECH KI JADDOJAHD NIRANTAR BANI RAHTI HAI ...FIR BHI DONO SANG SANG CHALTE HAIN ....SUNDAR RACHNA MUKESH JI....!!
16 March at 10:36 · UnlikeLike · 1

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Jayashree Divakar Kamath: aakhir sher hii ban gaya...mujhe ye acha laga Mukesh Kumar Sinha :) loved this :))
16 March at 14:10 · UnlikeLike · 1

रंजू भाटिया said...

:) बहुत बढ़िया